Saturday, March 26, 2016

सब ठीकी ठैरा डाक साब- 3

बलोदा बाजार वाले डॉ. आरके गुप्‍ता याद हैं या भूल गए? वैसे हम लोग बहुत जल्‍दी जल्‍दी भूलते हैं। वही आरके गुप्‍ता जि‍न्‍होंने एक दस्‍ताना पहन के एक ही इंजेक्‍श्‍न और एक ही सि‍रिंज और एक ही सुई से 90 मि‍नट में 83 आदि‍वासी महि‍लाओं की जिंदगी सी दी थी। 13 तो मौके पर ही मर गई थीं। वही मामला जि‍सके ठीक बाद रायपुर में साहि‍त्‍य महोत्‍सव हुआ था और कई कथि‍त प्रगति‍शील लेखकों ने वहां लाशों पर ठुमके लगाए थे। ''गुप्‍ता जी'' को तो छत्‍तीसगढ़ के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ''अग्रवाल जी'' ने बेहतरीन डॉक्‍टर होने का तमगा भी दि‍या था। मुसीबत ये है कि डॉ. सैबाल जाना न तो गुप्‍ता जी हैं न बनि‍या जी। होते भी तो न तो गुप्‍ता जी की तरह मरीजों की ''सेवा'' कर रहे हैं और न ही अग्रवाल जी की तरह गुप्‍ता जी की।

पता है कहां हैं आजकल ये गुप्‍ता जी? इतनी महि‍लाओं को जान से मारकर लापरवाही से बच चुके गुप्‍ता जी आराम से बि‍लासपुर में अपने प्राइवेट क्‍लीनि‍क पर मरीज देख रहे हैं। हो सकता है कि नया रि‍कॉर्ड बनाने के लि‍ए आदि‍वासि‍यों की कैसे हत्‍या करें, इसपर कोई थीसि‍स भी लि‍ख रहे हों। मर चुकी महि‍लाओं की बि‍सरा रि‍पोर्ट साफ कह रही है कि गुप्‍ता जी ने जानबूझकर मारा है, लेकि‍न डॉ. गुप्‍ता डॉ. सैबाल जाना नहीं कि इतनी जल्‍दी जेल चले जाएंगे। कुछ भी हो, छत्‍तीसगढ़ सरकार की सोहबत में की हत्‍या हत्‍या नहीं होती और अलग हटकर की गई सेवा सेवा नहीं होती। न यकीन हो तो डॉ. सैबाल जाना का ही केस उठा लीजि‍ए।

दुनि‍या में ऐसे कई लोग हैं जि‍न्‍हें हत्‍या करने का शौक होता है। ऐसों की संख्‍या तो बहुतायत में है जो कई लोगों की कई तरहों से हत्‍या करने की कल्‍पना में दि‍वास्‍वप्‍न देखते हैं। ऐसे लोगों के लि‍ए छत्‍तीसगढ़ सरकार मर्डर टूरि‍ज्‍म मुहैया करा रही है। ये मैं नहीं कह रहा, खुद पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडि‍या की डायरेक्‍टर पूनम कहती हैं कि यहां पर आदि‍वासि‍यों को बधि‍या करने की जि‍तनी भी स्‍कीम चल रही हैं, सब उनकी जान लेने के लि‍ए चल रही हैं। इन स्‍कीमों से अगर कोई आदि‍वासी जिंदा बच जाता था तो शहीद अस्‍पताल पहुंचता था जहां डॉ. सैबाल उसका इलाज करते थे। आइ रि‍पीट- इलाज करते थे। अब नहीं करेंगे। अब उन्‍हें सरकारी हत्‍या से बच गए लोगों की जान बचाने के आरोप में छत्‍तीसगढ़ सरकार ने जेल में बंद कर दि‍या है।

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