Saturday, January 31, 2015

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें - (28)

प्रश्‍न- भारत का राष्‍ट्रपति कौन है?
उत्‍तर- नमो-नमो
प्रश्‍न- मजाक मत कीजि‍ए, वैसे भी चुनाव सि‍र पर हैं?
उत्‍तर- तुम भो**** के हमारे साले लगते हो ना जो तुमसे मजाक करेंगे?
प्रश्‍न- बताइये तो सही, राष्‍ट्रपति कौन है?
उत्‍तर- कै दि‍न से नहीं नहाए हो? देखो कान में कि‍तनी मैल जमी है
प्रश्‍न- राष्‍ट्रपति का नाम बताइये?
उत्‍तर- अबे अब सबकुछ नमो नमो है
प्रश्‍न- भारत में कुछ संवैधानि‍क पद हैं, व्‍यवस्‍थाएं हैं, क्‍या आप उनसे इन्‍कार करते हैं?
उत्‍तर- संवि‍धान में बहुत सारे चूति‍यापे हैं, हम उनसे इन्‍कार करते हैं
प्रश्‍न- आप के हि‍साब से वो क्‍या गलति‍यां हैं?
उत्‍तर- पहली गलती तो तुम्‍हीं हो भो*** के
प्रश्‍न- क्‍या मतलब पहली गलती मैं हूं?
उत्‍तर- जयंती रानी को देखो, जयंती रानी को। सही माल टूटा है
प्रश्‍न- और शाजि‍या इल्‍मी?
उत्‍तर- हाए.. नाम ना लो पंडत की झां*** उसका।
प्रश्‍न- जयंती को आप माल कहते हैं और शाजि‍या इल्‍मी पर आपकी हाए नि‍कलती है?
उत्‍तर- भो**** के, गां*** की झां****, का हम तुम्‍हरी बीवी को माल कहे
प्रश्‍न- खैर, राष्‍ट्रपति का नाम बताइये?
उत्‍तर- नमो नमो
प्रश्‍न- उपराष्‍ट्रपति का ही नाम बता दीजि‍ए?
उत्‍तर- आज शनि‍च्‍चर है, भगवान का दि‍न है
प्रश्‍न- कौन से भगवान का दि‍न है?
उत्‍तर- बजरंगबली। बोलो जै बजरंगबली
प्रश्‍न- क्‍या भारत का प्रधानमंत्री सेना की सलामी ले सकता है?
उत्‍तर- नहीं भो*** के, पहले तुम बोलो जै बजरंगबली
प्रश्‍न- मैं ये नहीं बोल सकता?
उत्‍तर- हमको पता था मा****, तुम अपना लं*** कटा के कलमा पढ़के बैठे हो
प्रश्‍न- मेरा धर्म मुझे चौराहे पर नंगा होकर नाचना नहीं सि‍खाता?
उत्‍तर- नंगी तो बेटा तुम्‍हरी बीबी नाच रही है, और तुमको नचाएगी, देखना तुम।
प्रश्‍न- सलामी वाले सवाल का जवाब दीजि‍ए?
उत्‍तर- जै बजरंगबली, तोड़ दुश्‍मन की नली
प्रश्‍न- ये दुश्‍मन की नली क्‍या चीज होती है?
उत्‍तर- लं*** होती है बे
प्रश्‍न- शुक्र है आप पुरुषों पर ही रहे?
उत्‍तर- भो*** के, शनि‍च्‍चर है आज अंधे साले। चार ठो चश्‍मा और लगा लो
प्रश्‍न- बजरंगबली का दुश्‍मन कौन है?
उत्‍तर- तुम्‍हरे जैसे कटुए हैं साले, और कौन है?
प्रश्‍न- मुझे लगता है कि आप हैं?
उत्‍तर- तुम साले हमको बजरंगबली का दुश्‍मन बता रहे हो, रुको, आज तो हम पक्‍का तुम्‍हारी गां** तोड़ते हैं?

Friday, January 23, 2015

एक खबर

मैं एक खबर लि‍खना चाहता हूं
मैं अब अपने बारे में एक खबर लि‍खना चाहता हूं
उस खबर में
मैं जि‍क्र करना चाहता हूं
अपना कामनाओं का
और वासनाओं का भी
अपनी नजरों का
और उनकी भरपूर गंदगी का भी
टि‍कुलि‍यों का,
और उनके पीछे झांकती अनजानी आस का भी
और हां,
अपने कुकर्मों का जि‍क्र अगर मैनें ना कि‍या
ये खबर पूरी तरह से बेस्‍वाद होगी
थोड़ा मसाला और डालना चाहता हूं इस खबर में
अपने कई सारे प्रेम संबंधों को साइड स्‍टोरी बनाकर
और सबकुछ होते हुए भी
मैं प्रेम के वि‍ज्ञापन क्‍यों नि‍कालता हूं
इस खबर में उसका भी जि‍क्र करना चाहता हूं
खबर के अंदर तस्‍वीरें भी डालना चाहता हूं
उन पलों की जि‍न्‍हें मैं जी ना पाया
जि‍नको जीने की उतनी शि‍द्दत थी
जि‍नको जीना जीने की इक इबादत थी
पर मैं इबादत वो क्‍यूं न कर पाया
खबर में वो भी रंग भरना चाहता हूं
और अंत तो नहीं ही है
फि‍र भी,
कुल मि‍लाकर
मैं एक खबर लि‍खना चाहता हूं।

चूंकि काश और आस, कि‍सी कि‍सी के ही पूरे होते हैं, इसलि‍ए वो खबर अभी के लि‍ए मुल्‍तवी की जाती है।

Friday, January 9, 2015

कि‍तने सीने चाक करोगे?

कि‍तने सीने चाक करोगे?
कि‍तने पन्‍ने राख करोगे?
कलमों के कोरो से हम सब
हर सुबह नई बनाएंगे
यूं ही ना मि‍ट पाएंगे
यूं ही ना मि‍ट पाएंगे।

दस मारोगे, सौ आएंगे
बंदूकों से ना डर पाएंगे
नफरत जि‍ससे तुम करते हो
प्रेम गीत वो हम गाएंगे
गीत हमारे गाने पर तुम
गोली से इंसाफ करोगे?
कि‍तने सीने चाक करोगे?
कि‍तने पन्‍ने राख करोगे?

पैगंबर की ध्‍वजा उठाकर
हरे रंग पर लहू बि‍छाकर
लाशों का अंबार लगाकर
कैसे खुद को माफ करोगे?
कि‍तने सीने चाक करोगे?
कि‍तने पन्‍ने राख करोगे?

हंस हंस के हम चलते हैं
तो दुनि‍या आगे बढ़ती है
हंसने पे गोली चलती है
तो दुनि‍या रंग बदलती है।
अब हंसी का तुम हि‍साब करोगे?
कि‍तने चेहरे खाक करोगे?
कि‍तने पन्‍ने राख करोगे?

हो जाएगी दुनि‍या वीरानी
सांसे होंगी तब बेइमानी
ये नहीं तुम्‍हारी नादानी
अब पत्‍थर में जज्‍बात भरोगे?
कि‍तने सीने चाक करोगे?
कि‍तने पन्‍ने राख करोगे?

कि‍तने सीने चाक करोगे?
कि‍तने पन्‍ने राख करोगे?
कलमों के कोरो से हम सब
हर सुबह नई बनाएंगे
यूं ही ना मि‍ट पाएंगे
यूं ही ना मि‍ट पाएंगे।

‪#‎CharlieHebdo‬
‪#‎ParisShooting‬
‪#‎JeSuisCharlie‬

Sunday, January 4, 2015

मि‍लता है, मि‍लके ही रहता है

पजामा पहि‍न के बहुत आराम मि‍लता है
कुर्ता गर पहना तो बहुत नाम मि‍लता है।
लोहे से जुड़ो के बहुत काम मि‍लता है
जुड़ो जो तेल से, बड़ा ईनाम मि‍लता है।
सस्‍ते में अब कहां बहुत सामान मि‍लता है
महंगे की क्‍या पूछो, महंगा काम मि‍लता है।
बि‍छड़े हुए बच्‍चे का जो पैगाम मि‍लता है
के दीद कर ले उसकी, फि‍र शैतान मि‍लता है।
जब्‍त कीजि‍ए के मुंह ना खुलने दीजि‍ए
फि‍र देखि‍ए के कैसे ऐहतराम मि‍लता है।
हो जाती है ठि‍ठुर के टांगें ये सलाई
जाड़े में लुंगी का यही अंजाम मि‍लता है।
रोने से हो सुबह, खाली पेट कटती हैं रातें
गरीबों को रोज ये ही ईनाम मि‍लता है।
कहते रहो तुम के मौसम ये आशि‍काना है
हमको तो कमर दर्द का पैगाम मि‍लता है।
कौड़ि‍यों की खाति‍र बच्‍चा बन गया भि‍खारी
कि‍सने कहा के बच्‍चों में भगवान दि‍खता है...
मेमों को दि‍खते हैं इंसान हर तरफ
हमको तो साहबों में शैतान मि‍लता है।
कह दो के अलवि‍दा, के अब भगवान मि‍लता है
ताका करेंगे हम भी, के कब इंसान मि‍लता है।


Thursday, January 1, 2015

क्‍योंकि आप फेसबुक पर हैं

अगर फैज के ठीक नीचे
आपको नरेंद्र मोदी दि‍खाई दे
तो समझि‍ये कि आप
फेसबुक पर हैं।

भूलिये मत
क्‍योंकि अगली तस्‍वीर आपको
तीसरे मोर्चे की भी दि‍खाई दे सकती है
जंतर मंतर पर हाथ उठाए
रि‍श्‍तेदारी बांधे
क्‍योंकि आप
फेसबुक पर हैं।

अगला स्‍टेटस आपको
एक न चाहती हुई
कवि‍ता भी दि‍खाई दे सकती है
जि‍से आप बि‍लकुल भी पसंद नहीं करते
फि‍र भी लाइक कर देते हैं
क्‍योंकि आप
फेसबुक पर हैं।

इसी बीच एक बि‍ल्‍लि‍यों का वीडि‍यो
एन कवि‍ता के नीचे दि‍खाई देता है
और आप कवि‍ता छोड़कर
वो वीडि‍यो देखने लगते हैं
क्‍योंकि आप
फेसबुक पर हैं।

वीडि‍यो शेयर करने के बाद
आपको दि‍खती है
टांगों से पेंट करने वाली बच्‍ची
और आप उसे तुरंत शेयर करते हैं
क्‍योंकि आप
फेसबुक पर हैं

ठीक उसी के नीचे
आपको मि‍लती है
आप जैसे हर कि‍सी से तंग
एक बेरंग सी पोस्‍ट
जि‍समें है
आपके हर सही को गालि‍यां
आप चुपचाप आगे बढ़ जाते हैं
क्‍योंकि आप
फेसबुक पर हैं।

मान्‍यताओं के समाज में
हम मान्‍यताएं देते देते
कभी भी नहीं थकते। 

उन दि‍नों

उन दि‍नों
जब सारे नास्‍ति‍क
सुबह से लेकर शाम तक व्‍यस्‍त होंगे
एक ना करने के पीछे
मैं एक स्‍वेटर बुनूंगा
जि‍से पहन के मेरा बच्‍चा कहेगा
हां पप्‍पा,
ये एकदम फि‍ट है।

उन दि‍नों
जब सारे कवि
सुबह से लेकर शाम तक व्‍यस्‍त होंगे
एक कवि‍ता कहने में
मैं चबूतरे पर बैठकर
टुकुर टुकुर ताका करूंगा
स्‍कूल की बि‍ल्‍डिंग के पीछे छि‍पता सूरज।

उन दि‍नों
जब सारे प्रेमी और प्रेमि‍काएं भी
सुबह से शाम तक व्‍यस्‍त होंगे
प्रेम करने में
मैं उनसे पूछा करूंगा
मैं प्रेम कैसे करूं

उन दि‍नों
जब आप सब लोग
सुबह से शाम तक व्‍यस्‍त होंगे
मुझपर हंसने में
मैं बुनता रहूंगा
हंसने के नए नए तरीके।

उन दि‍नों
जब कि‍सी की बुक शेल्‍फ में होगी
खून से सने पैसों से आई कोई कि‍ताब
और वो सुबह से शाम तक व्‍यस्‍त होगा
खून के धब्‍बे हटाने में
मैं पूछूंगा
कि मैं लाश कैसे बनूं।

उन दि‍नों
जब सबके पास वक्‍त ही वक्‍त होगा
सुबह से शाम तक सब व्‍यस्‍त होंगे
खाली वक्‍त गुजारने में
मैं सोचता रहूंगा
नए
फि‍ल इन द ब्‍लैंक्‍स।

मेरी प्‍यारी मौसि‍यों

मेरी प्‍यारी मौसि‍यों 
(लीला और सुर्जकली मौसी के अलावा वाली मौसि‍यों),

कई दि‍न से हम घर से नि‍कलके चौराहे पे जा रहे हैं। असोक के यहां पान खाए के बाद अपने दोस्‍तों से बति‍याकर उनका बात चुपके चुपके मुंबई का घटा, बनारस का छटा, रांची दि‍ल्‍ली वाया पालमपुरो वाले दोस्‍तन को बता दे रहे थे। हालांकि हमका पता है कि हमरे सारे दोस्‍त हमको मि‍लके कूटेंगे, लेकि‍न इस्‍पेसली मनोरमा मउसी, आप तो हमारा मन जानती ही हैं। हम जब तलक चार लोगों से गाएंगे नहीं, गाली गुप्‍ता सुनके अपना गाल बजाएंगे नहीं, हमरे दि‍माग का जो डि‍स्‍परेसन है, वो कैसे नि‍कलेगा। बताइये। वैइसे मउसी, ई सारी बात सारे लोग जान रहे हैं, पर पता नहीं काहे मस्‍तराम की लुगदी की तरह एकदम कोने में, न जाने कौन बि‍लुक्‍का में लुकवाए बैठे रहते हैं, कि उनका जानते हुए कौनो जान ना लेय। ऐसे लोगन का भी इलाज लि‍खि‍एगा।

निर्मला मउसी होतीं तो यही कहतीं कि गीता का फलाना शलोक पढ़ो, उसे मन में बि‍ठाओ। और गीता भी कौन सी गीता, रि‍काबगंज में प्रि‍या ब्‍यूटी पार्लर वाली गीता का बात कहतीं, तभो मन में कोई गरमी पहुंचती (ठंड बहुत है, गरमी का जरूरत है) लेकि‍न ऊ त सीधे आठचक्‍कर वाली पता नहीं कौन सी गीता का बात करती रहती हैं। फि‍र कहतीं कि चूड़ी में जड़ने वाली मणी पढ़ौ, देमाग तेज होगा। निर्मला मउसी, तुमसे इस्‍पेसली दोनों हाथ जोड़ के वि‍नती करते हैं कि चुप्‍पेचाप अयोधा दरशन का चली आओ। अउर हां, इसका भी पूरा बंटवारा करने का आपसे दरकार है कि हम नास्‍ति‍क हूं या आस्‍ति‍क। इनामदारी से कह रहा हूं कि अबहूं कभो कभो हनुमानचलीसा तो कबहूं सुंदरकांड का चौपाई जबान पर चरपरा जाता है।

रामकली मौसी से हमको ये पूछना था कि अनाथालाय में जो औलादों को रखने का ठेका लि‍या था, का उसमें सब भक्‍तै हैं मने नजायज औलादें तो सभै जगहि‍या पे हैं। हम का सोच रहे हैं, कि काहे नहीं हम उनका भी बात वाया मोतीहारी नसलबारी सबतक पहुंचाएं। बाकी पहाड़ वाली मउसी चुपके चुपके मुस्‍कि‍या रही होंगी, इस बात का हमको पूरा यकीन है, गोबरधन का कसम खा के कहते हैं।

(फूल का थारी खरीदने गए थे कि आप लोगन को चि‍ट्ठी के साथ पठा देंगे, त उसका रेट तो एकदम्‍मे मोदी होय रहा है। यहलि‍ए अपने लैपटाप के स्‍क्रीने पे ई फोटू से काम चला लीजि‍ए, ज्‍यादा कहने की का दरकार है। थारी ठीक से दि‍ख रहा है ना.. नहीं त कहि‍ए लि‍टफेटि‍या थारी दि‍खाएं)

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (27)

प्रश्‍न- आपके स्‍वामी जी ने कहा है कि रावण दलि‍त था?
उत्‍तर- लग रही है ना तुम्‍हें?
प्रश्‍न- और गाजि‍याबाद में रहता था?
उत्‍तर- अब चुभ रही है ना भो*** के? बाभन की झां***!!
प्रश्‍न- आप मेरी बात का जवाब दें?
उत्‍तर- झां*** देंगे तुम्‍हें बाभन की झां***। अब तक सबको तुम लोग झूठ ही पढ़ाते आए
प्रश्‍न- मतलब आप मानते हैं कि रावण दलि‍त था?
उत्‍तर- बि‍लकुल था और मैवति‍या के इलाके का था
प्रश्‍न- मतलब?
उत्‍तर- मतलब ये कि मैवति‍या ससुरी उसी की वंश की है। शकल नहीं देखे हो बु****** की?
प्रश्‍न- बता सकते हैं गाजि‍याबाद में कहां से था रावण?
उत्‍तर- मैवती के गांव से था
प्रश्‍न- पर वो तो नोएडा में है?
उत्‍तर- नोएडा कब बना?
प्रश्‍न- यही कोई तीस पैंतीस साल पहले?
उत्‍तर- और रावण कब बना?
प्रश्‍न- रावण तो कभी बना ही नहीं, बनाया गया
उत्‍तर- लात कब खाई?
प्रश्‍न- देखि‍ए, इधर उधर घुमाइये मत, सीधे सवाल का जवाब दीजि‍ए?
उत्‍तर- ह ह ह ह। सीधा सवाल। तुम्‍हरे बापौ पूछे थे कभी सीधा सवाल?
प्रश्‍न- रावण गाजि‍याबाद से लंका कैसे गया?
उत्‍तर- गया नहीं, भागना पड़ा
प्रश्‍न- क्‍यों?
उत्‍तर- अयोध्‍या से साला पुष्‍पक वि‍मान चुरा लि‍या था
प्रश्‍न- मतलब वो पुष्‍पक वि‍मान चोरी करके भागा था?
उत्‍तर- नहीं तो क्‍या तुम्‍हारी गां*** चोरी करके भागा था?
प्रश्‍न- तो तभी क्‍यों नहीं पकड़ा?
उत्‍तर- तब पतै नहीं था कि कौन लेकर भागा
प्रश्‍न- तो पता कब लगा?
उत्‍तर- जब सीता जी को उठा लि‍या
प्रश्‍न- वो कैसे?
उत्‍तर- अबे जंगल वाले रनवे में पुष्‍पक वि‍मान का नि‍शान राम जी देख लि‍ए थे
प्रश्‍न- और इसीलि‍ए उन्‍होंने लंका पर हमला कि‍या?
उत्‍तर- और क्‍या
प्रश्‍न- सीताजी उनके लि‍ए कोई इश्‍यू नहीं थीं?
उत्‍तर- अबे भो**** के। तुम.... हटो तुमसे कोई बात नहीं करनी
प्रश्‍न- बताइये तो?
उत्‍तर- नहीं करनी है भो**** वाले
प्रश्‍न- यानि कि आप मानते हैं कि सीता जी राम जी के लि‍ए कोई इश्‍यू नहीं थीं?
उत्‍तर- तुम साले स्‍टालि‍न की नाजायज औलादें इसी तरह से इति‍हास में फेरबदल करती हैं
प्रश्‍न- राम की कहानी इति‍हास है?
उत्‍तर- नहीं तो क्‍या है बे?
प्रश्‍न- पर वो तो पौराणि‍क कथा है, महाकाव्‍य है?
उत्‍तर- तो जो नासा रामसेतु दि‍खाया होगा, वो तुम्‍हारी झां**** का बाल होगा क्‍यों?
प्रश्‍न- मतलब सारी लड़ाई पुष्‍पक वि‍मान के लि‍ए हुई?
उत्‍तर- और क्‍या
प्रश्‍न- दूसरा क्‍यों नहीं बना लि‍या पुष्‍पक वि‍मान?
उत्‍तर- ......
प्रश्‍न- बताइये?
उत्‍तर- तुम अभी तक दुसरी शादी काहे नहीं कि‍ए?
प्रश्‍न- मुझे इस सवाल का जवाब जानना है कि दूसरा पुष्‍पक वि‍मान क्‍यों नहीं बना पाए?
उत्‍तर- मुझे इस सवाल का जवाब जानना है कि पहले तुम्‍हारी गां*** तोड़ें या सि‍र?
प्रश्‍न- ये तो कोई बात नहीं होती?
उत्‍तर- जो बात नहीं होती, वो झां*** होती है
प्रश्‍न- तो फि‍र सीता जी को आग में क्‍यों कुदाया?
उत्‍तर- दहेज पूरा नहीं दी होंगी
प्रश्‍न- हद है यार, मैं ही नहीं करता आज तुमसे बात?
उत्‍तर- तुम झां***** बात कर पाओगे हमसे भो**** के। ज्ञान होना चाहि‍ए आदमी में। ति‍लक लगाया करो, ताकत मि‍लेगी 

नतमस्‍तक मोदक की नाजायज औलादें (26)

प्रश्‍न- शेर-ओ-शायरी का शौक रखते हैं आप?
उत्‍तर- हम खुद शेर हैं।
प्रश्‍न- शायरी उर्दू के बड़े ही रोमानी अंदाज में लि‍खी जाती है, मन को छू जाने वाली। कभी पढ़ी है आपने?
उत्‍तर- बि‍लकुल पढ़ी है। तुम क्‍या समझते हो, तुम्‍ही पढ़ते लि‍खते हो?
प्रश्‍न- कि‍नकी शायरी पढ़ी है आपने?
उत्‍तर- तुलसीदास की पढ़ी है।
प्रश्‍न- तुलसीदास शायरी लि‍खते थे?
उत्‍तर- नहीं तो क्‍या भो**** के मस्‍तराम लि‍खते थे?
प्रश्‍न- मैने पूछा था कि उर्दू की कोई शायरी पढ़ी है आपने?
उत्‍तर- झां**** भो*** के, संस्‍कृति तो आई ना हमें, उर्दू तो वैसे भी पाप है पढ़ना
प्रश्‍न- पाप कैसे?
उत्‍तर- हरामी कटुओं की बोली है बे, ऐसे।
प्रश्‍न- लगता है शायद इसीलि‍ए मेरे घरवालों ने मुझे भी उर्दू सीखने नहीं दी..
उत्‍तर- तुम्‍हरे घरवाले तुमसे कहीं ज्‍यादा समझदार हैं।
प्रश्‍न- खैर, उर्दू तो हिंदुओं की भाषा रही है?
उत्‍तर- तुम आखि‍री बार अपनी मम्‍मी से कब मि‍ले थे?
प्रश्‍न- गालि‍ब के बारे में सुना है?
उत्‍तर- बि‍लकुल सुना है
प्रश्‍न- क्‍या सुना है?
उत्‍तर- बहुत बड़े कवी हुए हैं हमारे देश के
प्रश्‍न- कवि कैसे, वो तो शायर हुए हैं?
उत्‍तर- यही तो उन मुल्‍ले माद**** और स्‍टालि‍न की नाजायज औलादों की साजि‍श है
प्रश्‍न- कैसी साजि‍श?
उत्‍तर- गालि‍ब थे गुलाब राय। कवि‍त्‍त कहा करते थे चांदनी चौक में जमुना घाट कि‍नारे
प्रश्‍न- चांदनी चौक में यमुना घाट कहां से आया?
उत्‍तर- जो जामा मस्‍जि‍द है, वो असल में जमुना घाट है
प्रश्‍न- और यमुना कहां से बहती थी?
उत्‍तर- बीच से
प्रश्‍न- कि‍सके बीच से?
उत्‍तर- लालकि‍ले के बीच से
प्रश्‍न- और वहां से नि‍कलके वो जाती कहां थी?
उत्‍तर- मुल्‍लों की गां*** में जाती थी भो**** के। बस इतना जान लो कि जमुना घाट पे गुलाब राय बैठ के कवि‍त्‍त कहा करते थे।
प्रश्‍न- फि‍र उनके कवि‍त्‍त कहां गए?
उत्‍तर- माद***** मुल्‍लों ने सब जला दि‍ए
प्रश्‍न- फि‍र शायरी कहां से आई?
उत्‍तर- भो**** वालों ने पूरा ट्रांसलेट करा लि‍या उर्दू में
प्रश्‍न- गालि‍ब मने गुलाब राय की कोई जयंती मनाते हैं?
उत्‍तर- तुम फि‍र शुरू कर दि‍ए?
प्रश्‍न- क्‍या शुरू कर दि‍ए?
उत्‍तर- न जाने हमें ऐसा क्‍यों लग रहा है कि उठें, औ उठके तुम्‍हारी गां**** पे पचास लात लगाएं।
प्रश्‍न- मैने जयंती के बारे में सवाल पूछा है?
उत्‍तर- कि‍सी कटुए की जयंती हम नहीं मनाते
प्रश्‍न- अच्‍छा गुलाब राय का कोई कवि‍त्‍त ही सुना दीजि‍ए?
उत्‍तर- भो**** के, एक बार बता दि‍ए कि सारा जला दि‍या मुल्‍ले माद**** ने। तुम साले मुसलमान बन जाओ
प्रश्‍न- गालि‍ब की कोई शायरी याद है?
उत्‍तर- ......
प्रश्‍न- याद तो होगी जरूर?
उत्‍तर- रुको भो**** के, याद करने दो
प्रश्‍न- याद आई?
उत्‍तर- हां, सुनो- मौत का एक दि‍न मुतमइय्यन है गालि‍ब, नींद क्‍यूं रात भर नहीं आती।
प्रश्‍न- भई वाह, क्‍या बात है.. पहली बार आपके इस कहे के लि‍ए दाद है
उत्‍तर- सुनो भो**** के, अभी तो तुम्‍हीं हमको दाद बनते लग रहे हो
प्रश्‍न- मतलब?
उत्‍तर- अब नि‍कल लो, इससे पहले तुम्‍हरी गां*** में केंवाच लगाएं, फूट लो।

- प्रेरणास्रोत भाई सुयश सुप्रभ