हम चले पतंग उड़ाने

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अब देखिए ना, हमारे पास एक नहीं, बल्कि दो दो पतंगें हैं। एक बड़ी त दूजी छोटी। मजे की बात तो ये कि दोनों बड़ी तेज उड़ती हैं। कोई किसी से मजाल कि राई रत्ती कम हो जाएं। एक पुरानी उड़ाका, न जाने आसमान में कितनी पतंगें काट के आई है त दूजी नई उड़ाका जिसके तो ठीक से कन्ने भी न बंधे। एक मिनट, जरा बड़ी वाली उतार लें, कैसी तो लंफ लंफ के नाच रही है आसमान में कि दूसरी वाली सही से टिक भी नहीं पा रही है। अब दूसरी वाली का कन्ना वन्ना ठीक से बांध लें तो दोनों को उड़ाएंगे। हां, सही सुन रही हैं मैडम, दोनों को उड़ाएंगे। आखिर दो दो हाथ हैं न हमारे। यकीन मानिए, हम इंसाफ में यकीन रखते हैं तो एक को जितना ऊंचा ले जाएंगे, हम वादा करते हैं कि दूसरी भी उतनी ही ऊंची उड़ेगी।
हम कन्ना बांध दिए हैं कायदे से छोटी वाली पतंग का। अब देखते हैं कि कैसे बड़की पतंग इससे ज्यादा हरहराती है।
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