Saturday, August 8, 2009

आख़िर क्यों आई खरीफ की कम उपज ?

प्रधानमन्त्री के नाम एक पत्र।

प्रिय प्रधानमन्त्री जी।
अभी कल की ही तो बात है जब आपने ये बयान दिया कि खरीफ की कम उपज आने पर आने वाले समय मे अनाज की कीमतों मे बढोत्तरी हो सकती है। लेकिन ये क्यों नही बताया कि आख़िर क्या बात रही कि देश मे खरीफ की कम उपज आई। पिछले साल भी तो इस देश मे आपकी ही सरकार थी और उसके भी पिछले साल आपकी ही सरकार थी और आप ही प्रधानमन्त्री थे। बरसात की बात करें तो पिछले दो सालों से तो बरसात बस यूँ ही आ रही ही और गुजर जा रही है। क्या इसके लिए आपने कुछ इंतजामात किए? आपको तो सिर्फ़ कह भर देना है की कीमतों मे बढोत्तरी होनी ही है। लेकिन क्या आप जानते हैं की इससे सबसे पहले आपका वही किसान मारा जाएगा जो खेतों मे फसलें उगाता है। जाहिर है कि आपने कुछ भी नही किया। रक्षा बजट हो या विदेशी कंपनियों को बढ़ावा देना उन्हें सब्सिडी देना, आप उन मामलो को तो सबसे पहले आगे बढाते हैं, लेकिन देश के ३२ करोड़ लोगो को एक साथ क्यों भूल जाते है । कृषि बजट आपका कितना रहा, ये शर्मनाक बात तो आप बताना ही नही चाहेंगे। आप किसानो के कितने हित चिन्तक है, ये बात तो उस महाराष्ट्र से पता चल गई जहाँ आप पैसे बांटने गए थे और आज तक किसी को भी पैसे नही मिले। मुझे तो लगता है कि ये नियत मे खोट है। नही तो आदमी अगर कोई काम करना चाहे और ना कर पाये, ऐसा तो हो ही नही सकता। आख़िर आपने प्रधानमंत्री बनना चाहा और बन भी गए। उस नियत मे कोई खोट नही था तो फ़िर हमारे अन्न दाताओं के लिए नियत मे खोट क्यों? क्यों नही खरीफ का इंतजाम पिछले साल ही किया गया। पश्चिम के कुछ प्रदेशों को छोड़ दें तो भारत के ज्यादातर प्रदेशों मे किसान किस अनाज पर निर्भर रहते हैं ? प्रधानमन्त्री जी, पता नही आवाजें आपके कान मे जाती हैं या नही, मुझे उम्मीद है कि नही जाती होंगी। नही तो आपकी पार्टी के युवराज के पास सिर्फ़ बुंदेलखंड का मुद्दा न होता। पिछले ६ सालों से तो पूरा देश और पूरे देश के किसान ख़ुद मे ही बुंदेलखंड बन गए हैं। कभी कोई फ़िक्र की आपने? या शर्म अल शेक आपके लिए ज्यादा जरूरी है? अमेरिका का पिछलग्गू बनना आपके लिए ज्यादा जरूरी है? प्रधान मंत्री जी, इस पत्र मे लिखी गई बातों के लिए आप बुरा ना माने, क्यों कि ये एक आम आदमी की आवाज है, वह आदमी, जिसके बच्चों के स्कूल वालों ने मनमानी फीस बढ़ा दी है लेकिन आप कुछ नही कर रहे, जिसे दाल के लिए दुगनी कीमत चुकानी पड़ रही है लेकिन उसकी तनख्वाह नही बढ़ी है।

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