भाषाएं हार का प्रतीक हैं
1
बार बार हारता हूं
हर बार हारा हूं।
हारे हुए लोगों से भी
हार चुका हूं।
2
मैंने हारना सीखा है
यही मेरा सीखना है।
मौसम कोई भी हो
मुझे हारना आता है।
3
हारने में दुख है
दुख ही सत्य है।
अंतिम वह भी नहीं
और मैं फिर हारा।
4
हर किसी से ज्यादा
हार पहचानी है।
हारना जानने के लिए
भाषा जरूरी नहीं।
5
हारने के हिसाब में
मर्जी से भी हारा हूं।
पर खुद हारा
तो झूठा हारा।
6
बेस्वाद होती है असल हार
बिलकुल धूल की तरह
गरदन में जाते खंजर की तरह
रोज आते अखबार की तरह।
7
हारने के बाद
मैं बोलता हूं।
भाषाएं
हार का प्रतीक हैं।
8
कल फिर हारा था
कल फिर हारूंगा
हारते रहना ही
हमारा अतिक्रमण है।
9
लड़कर हारा
और बिना लड़े भी।
कुछ तय हो न हो
हार तय है।
10
जानता हूं कि
हारते हुए ही जीना है
हर बार हारते हुए
धूल बढ़ाते हुए।
बार बार हारता हूं
हर बार हारा हूं।
हारे हुए लोगों से भी
हार चुका हूं।
2
मैंने हारना सीखा है
यही मेरा सीखना है।
मौसम कोई भी हो
मुझे हारना आता है।
3
हारने में दुख है
दुख ही सत्य है।
अंतिम वह भी नहीं
और मैं फिर हारा।
4
हर किसी से ज्यादा
हार पहचानी है।
हारना जानने के लिए
भाषा जरूरी नहीं।
5
हारने के हिसाब में
मर्जी से भी हारा हूं।
पर खुद हारा
तो झूठा हारा।
6
बेस्वाद होती है असल हार
बिलकुल धूल की तरह
गरदन में जाते खंजर की तरह
रोज आते अखबार की तरह।
7
हारने के बाद
मैं बोलता हूं।
भाषाएं
हार का प्रतीक हैं।
8
कल फिर हारा था
कल फिर हारूंगा
हारते रहना ही
हमारा अतिक्रमण है।
9
लड़कर हारा
और बिना लड़े भी।
कुछ तय हो न हो
हार तय है।
10
जानता हूं कि
हारते हुए ही जीना है
हर बार हारते हुए
धूल बढ़ाते हुए।
A portrait from Rajgir (Bihar) |